वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक गतिविधियां मजबूत: आरबीआई
26 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट में बताया कि वैश्विक स्तर पर भारी उतार-चढ़ाव और अनिश्चितताओं के बावजूद भारत में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार मजबूत बनी हुई है। नियमित रूप से जारी होने वाले आर्थिक आंकड़े इस सकारात्मक रुझान की पुष्टि करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में ऋण आवंटन की रफ्तार धीमी रही, लेकिन फिर भी वित्तीय स्थितियां अनुकूल रहीं, जिससे रीपो दर में की गई कटौती का लाभ सभी क्षेत्रों तक पहुंच पाया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से जून 2025 के बीच रीपो दर को 100 आधार अंक घटाकर 5.5% कर दिया है।
वैश्विक अस्थिरता और भारत की मजबूती
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितता और बिगड़ते भू-राजनीतिक हालात के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव है। लेकिन भारत में मई 2025 के आंकड़े दर्शाते हैं कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में गतिविधियां सशक्त बनी हुई हैं।
मई और जून की शुरुआत में व्यापार समझौतों और शुल्कों पर अस्थायी रोक से वित्तीय बाजारों में सकारात्मकता देखी गई, लेकिन ईरान और इजराइल के बीच युद्ध के चलते फिर से अनिश्चितता बढ़ गई।
घरेलू संकेतक और आर्थिक मजबूती
मई में जारी अस्थायी अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने की संभावना है। चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में मजबूती देखी गई। भारत का पीएमआई दुनिया के कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर रहा।
जहां अन्य देशों में निर्यात सौदों में कमी आई, वहीं भारत ने अधिक सौदे प्राप्त किए। विनिर्माण कंपनियों का क्षमता उपयोग दीर्घकालिक औसत से अधिक रहा और कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से ग्रामीण मांग भी बढ़ी।
मुद्रास्फीति और ऋण
रिपोर्ट में बताया गया कि मई में लगातार चौथे महीने समग्र मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्षित स्तर से नीचे रही। अप्रैल में कृषि और सेवा क्षेत्र में ऋण आवंटन में गिरावट देखी गई, लेकिन अन्य क्षेत्रों से ऋण प्रवाह सामान्य रहा।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि वैश्विक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और आर्थिक गतिविधियों में कोई ठहराव नहीं देखा गया है।