सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का आरबीआई लाभांश
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देगा। शुक्रवार को आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
आरबीआई ने यह घोषणा आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को 7.5 प्रतिशत रखते हुए की है। यह निर्णय आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) की समीक्षा के बाद लिया गया, जिसके तहत जोखिम सुरक्षा की नई ऊपरी सीमा तय की गई है।
केंद्रीय बोर्ड ने सीआरबी का दायरा बहीखाते के 5.5-6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.5-7.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। यानी इसे औसतन 6 प्रतिशत रखते हुए उसमें ±1.5 प्रतिशत की लचीलापन दिया गया है। पिछले पांच वर्षों से यह सीमा 5.5-6.5 प्रतिशत पर बनी हुई थी। यह ढांचा विमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था।
पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने 6.5 प्रतिशत सीआरबी के साथ सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया था। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि संशोधित ECF और वृहद आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बोर्ड ने सीआरबी को बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
जोखिम सुरक्षा बढ़ाने के बावजूद आरबीआई इतना बड़ा लाभांश देने में इसलिए सफल रहा क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में उसने डॉलर की बिक्री से बड़ा मुनाफा कमाया। आरबीआई ने 2023-24 में 399 अरब डॉलर की बिक्री की, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 153 अरब डॉलर रहा। शुद्ध रूप से 34.5 अरब डॉलर की बिक्री की गई, जो 2008-09 की वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद सबसे अधिक है।
इस मुनाफे का मुख्य कारण यह रहा कि डॉलर की ऐतिहासिक लागत वर्तमान हाजिर दर की तुलना में काफी कम थी, जिससे आरबीआई को अधिक लाभ हुआ।