आज़ादी के बाद पहली बार पर्यटकों के लिए खुला शिपकी ला बॉर्डर
अब भारतीय नागरिक किन्नौर के शिपकी-ला पहुंचकर चीन-अधिकृत तिब्बत की सीमा देख सकेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 10 जून को बॉर्डर टूरिज्म की शुरुआत कर इतिहास रच दिया। वह यहां आने वाले इंदिरा गांधी के बाद दूसरे बड़े नेता बने।
मुख्यमंत्री ने जनसभा में कहा कि यह शुरुआत मात्र पहला कदम है। किन्नौर जिले के लेप्चा, गिऊ और रानी कंडा क्षेत्रों को भी पर्यटन के लिए खोल दिया गया है। यह पहला मौका है जब शिपकी-ला आम जनता के लिए खोला गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रूट से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होनी चाहिए और इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर यह मुद्दा उठाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
उन्होंने भारत-तिब्बत के बीच पुराना व्यापारिक मार्ग फिर से खोलने की मांग की, जो कोविड के कारण बंद हुआ था। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय लोगों के लिए हिमाचल स्काउट बटालियन बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा है।
हवाई अड्डे की मांग और परमिट की बाधा
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से हवाई अड्डा स्थापित करने और इनरलाइन परमिट हटाने की भी मांग की जाएगी, जिससे पर्यटकों को असुविधा न हो।
सरहद वन उद्यान और इंदिरा गांधी प्वाइंट
मुख्यमंत्री ने शिपकी ला में "सरहद वन उद्यान" का शुभारंभ किया और 1968 में इंदिरा गांधी द्वारा देखे गए स्थल "इंदिरा गांधी प्वाइंट" का भी दौरा किया।
आईटीबीपी के हेलिपैड का प्रयोग
उन्होंने आईटीबीपी के हेलिपैड और चिकित्सा संस्थानों को पर्यटन और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपयोग में लाने पर भी चर्चा की।
इतिहास में पहली बार: इंदिरा गांधी की यात्रा
9 जून 1968 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शिपकी ला पहुंचीं थीं। उन्होंने सेना के हेलिपैड पर उतरने के बाद 27 किलोमीटर घोड़े और पैदल चलकर यात्रा पूरी की थी। उन्होंने यहां "इंदिरा स्टोन" रखा था जो एलएसी का प्रतीक है।
भले ही पर्यटकों के लिए यह पहली बार है, लेकिन किन्नौर के स्थानीय लोग इसे वर्षों से व्यापार मार्ग के रूप में उपयोग करते आए हैं।