अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर नौ महीने से सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित था। नौ महीने बाद 8 नवंबर को आए फैसले में भी यह मामला लटका रह गया है। अब तीन सदस्यीय नई पीठ एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई करके फैसला देगी। सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8 नवंबर को चार-तीन के बहुमत से दिए फैसले में किसी संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान माने जाने के आधार और मानक तय कर दिए, कोर्ट ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर कोई व्यवस्था नहीं दी। कहा कि एएमयू का मामला नियमित पीठ के सामने जाएगा, जो इस फैसले में दी गई व्यवस्था के आधार पर तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है कि नहीं। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अजीज बाशा मामले में दिए फैसले में कहा था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के जरिये हुई है। इतने वर्षों से यही फैसला एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे की राह का रोड़ा बना हुआ था। इसी के आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए किए गए कानून संशोधन को रद कर दिया था।
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