India's space program will reach new heights as the central government approves the construction of the third launch pad at Sriharikota's Satish Dhawan Space Centre. This will support next-gen launch vehicles and more space missions.">" />
श्रीहरिकोटा में बनेगा तीसरा लांच पैड


श्रीहरिकोटा में बनेगा तीसरा लांच पैड

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष क्षेत्र में अभी दो लॉन्च पैड हैं. यहां अब तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना की जाएगी. केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है. यह इसरो के आगामी स्पेस मिशनों को नई ऊंचाइया देगा.

भारत के स्पेस सेक्टर को ऊंची उड़ान देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड को मंजूरी दी है. इस प्रोजेक्ट की लागत तकरीबन 3985 करोड़ रुपये आंकी गई है. अगले 48 घंटे में इसके पूरा होने का अनुमान है. अभी श्रीहरिकोटा में 2 लॉन्च पैड मौजूद हैं.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक प्रस्तावित तीसरा लॉन्च पैड अधिक क्षमता वाला होगा. यह अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यानों यानी NGLV की जरूरतों को पूरा करेगा. इसे भारी उपग्रहों की कक्षा में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है.

श्रीहरिकोटा में स्थापित होने वाला तीसरा लॉन्च पैड भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इसे दूसरे लॉन्च पैड के साथ ही बनाया जा रहा है. इसके पीछे मकसद है कि मौजूदा दूसरे लॉन्च पैड के इंफ्रास्ट्रक्चर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सके. तीसरा लॉन्च पैड बनने के बाद ज्यादा संख्या में सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग हो सकेगी. इसकी क्षमता पहले वाले दोनों लॉन्च पैडों की तुलना में अधिक होगी. इससे भारत भविष्य में अपने स्पेस कार्यक्रमों को गति दे सकेगा.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो अभी तक दो लॉन्च पैड पर निर्भर है, पहला लॉन्च पैड FLP है और दूसरा SLP. पहला लॉन्च पैड FLP तकरीबन 30 साल पहले शुरू हुआ था. हालांकि अभी भी यह PSLV और SSLV के लिए लॉन्च सहायता प्रदान करता है. इसके अलावा SLP तकरीबन 20 साल से प्रयोग में है. चंद्रयान-3 समेत कई महत्वपूर्ण मिशन इसी से लॉन्च किए गए थे.

श्रीहरिकोटा में प्रस्तावित तीसरा लॉन्च पैड को आगामी मिशनों को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि 2040 तक इसरो मानव चंद्र मिशन इस लॉन्च पैड से लॉन्च कर सकता है. इसके अलावा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की लॉन्चिंग में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. इनके लिए अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को नई पीढ़ी के लॉन्चिंग पैड की आवश्यकता थी जो अब पूरी हो जाएगी.





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