यूजीसी ने बनाई व्यवस्था, 20 दिनों के भीतर विद्यार्थियों की समस्याओं का होगा समाधान
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश भर के विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए राहत की घोषणा की है। यूजीसी ने एक नई व्यवस्था शुरू की है, जिसके तहत छात्रों की समस्याओं का समाधान अब 20 दिनों के भीतर किया जाएगा, जिनमें फीस, पाठ्यक्रम, प्रवेश नीति, छात्रवृत्ति आदि से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। इसके साथ ही यूजीसी ने शिकायत दर्ज करने के लिए एक ई-समाधान पोर्टल और टोल-फ्री हेल्पलाइन भी शुरू की है।
अब छात्रों को अपनी समस्याओं के लिए लंबे समय तक इंतजार या इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं होगी। चाहे वह फीस वापसी हो, पाठ्यक्रम से जुड़ी समस्या हो या छात्रवृत्ति से संबंधित कोई मुद्दा, यूजीसी अब 20 दिनों के भीतर समाधान का वादा करता है। यह पहल सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों दोनों के लिए लागू होगी। यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करने वाले हैं।
ई-समाधान पोर्टल और हेल्पलाइन
यूजीसी ने एक ई-समाधान पोर्टल शुरू किया है, जहां छात्र ऑनलाइन अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। शिकायत मिलने पर इसे तुरंत संबंधित विश्वविद्यालय या कॉलेज को भेज दिया जाएगा, और उन्हें तय समय सीमा में छात्र को संतोषजनक उत्तर देना होगा। यूजीसी इन सभी शिकायतों पर निगरानी रखेगा और यदि कोई विश्वविद्यालय प्रतिक्रिया में देरी करता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी, जिसमें मान्यता या वित्तीय सहायता को समाप्त करना भी शामिल है।
एक महत्वपूर्ण क्षेत्र जिसमें यूजीसी ने ध्यान केंद्रित किया है, वह है फीस वापसी। पिछले कुछ वर्षों में छात्रों को फीस वापस करने में मुश्किलें आ रही थीं, विशेषकर निजी विश्वविद्यालयों में। यूजीसी के प्रयासों से पिछले तीन वर्षों में लगभग 25 करोड़ रुपये की फीस छात्रों को वापस दिलाई गई है। यूजीसी ने यह भी वादा किया है कि वह टीचिंग और नॉन-टीचिंग से जुड़ी शिकायतों को 15 दिनों के भीतर और विश्वविद्यालय से संबंधित शिकायतों को 20 दिनों के भीतर हल करेगा।
इसके अलावा, यूजीसी रैगिंग और जाति व लिंग के आधार पर भेदभाव के मामलों में 24/7 मदद देने का दावा कर रहा है। इसके लिए यूजीसी ने टोल-फ्री नंबर 1800-180-5522 जारी किया है, जहां छात्र किसी भी समय रैगिंग से संबंधित मामलों में मदद ले सकते हैं।