यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया


यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया 18 अप्रैल को, यूनेस्को ने महाभारत में भगवान श्री कृष्ण के उपदेश पर आधारित धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता और भारत की ललित कलाओं का मूलग्रंथ कहे जाने वाले भरत मुनि रचित नाट्यशास्त्र को अपनी 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया। विश्व धरोहर दिवस पर इस घोषणा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर की और इसे हर भारतीय के लिए गर्व का पल बताया। उन्होंने कहा, "दोनों महाग्रंथों का यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है।" यूनेस्को का 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करने और उन्हें दुनिया के सामने लाने का उद्देश्य रखता है। अब तक इस रजिस्टर में 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जुड़े शोधों और उपलब्धियों सहित 570 पांडुलिपियों को जगह दी जा चुकी है। यूनेस्को का 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड' रजिस्टर 1992 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित करना, सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना और दस्तावेजी विरासत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।




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