बजट 2025-26: मध्यम वर्ग के लिए मुस्कान


वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत वित्त वर्ष 2025-26 का बजट करदाताओं, निवेशकों और मध्यम वर्ग को मुस्कुराहट देते हुए दिखाई दे रहा है। वित्तमंत्री ने इस बजट के माध्यम से आयकर में कटौती और वित्तीय प्रोत्साहन के द्वारा मध्यम वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने की रणनीति अपनाई है। नए टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त किया गया है। इसके साथ ही, बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% कर दिया गया है, जिससे कंपनियों को अधिक धन मिलेगा और वे अपनी विस्तार योजनाओं को बढ़ा सकेंगी, जिससे मध्यम वर्ग को लाभ होगा।

निसंदेह, कोरोना काल के बाद मध्यम वर्ग को राहत देने की मांग लगातार बढ़ी है। सरकार ने जहां गरीबों के लिए कई राहत योजनाओं की घोषणा की, वहीं कॉरपोरेट सेक्टर पर भी ध्यान दिया गया। लेकिन सबसे अधिक टैक्स देने वाला मध्यम वर्ग पीछे रह गया। पिछले बजटों में इस वर्ग की चिंताओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। इस वर्ग को जो कर लगाया गया, उसके मुकाबले सार्वजनिक सेवाओं के माध्यम से उसे बहुत कम लाभ मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने भी बजट सत्र की शुरुआत में मध्यम वर्ग को राहत देने के संकेत दिए थे। साथ ही, वित्तमंत्री ने वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में भी यह स्वीकार किया कि वेतनभोगी और स्वरोजगार वाले मध्यम वर्ग की वास्तविक आय में गिरावट आई है।

वित्तमंत्री ने अब देश के विकास के इंजन कहे जाने वाले मध्यम वर्ग को निजी उपभोग पर घटते खर्च के कारण विकास दर में कमी से उबारने के लिए नए कदम उठाए हैं। इस बजट के माध्यम से सरकार मध्यम वर्ग की लंबे समय से लंबित आर्थिक शिकायतों का समाधान करते हुए आर्थिक वृद्धि को गति देने का प्रयास कर रही है। निश्चित रूप से मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम करने से खपत में वृद्धि होगी, जिससे जीएसटी संग्रह में वृद्धि होगी और कर योग्य आय वाले लोगों का आधार बढ़ेगा। एक मजबूत मध्यम वर्ग भारत के उच्च विकास के सपने को आकार देने का आधार बनेगा।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि वित्तमंत्री सीतारमण के पास मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए कर संग्रहण में मजबूत परिदृश्य है। पिछले 10 वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या और आयकर प्राप्ति में तेजी से वृद्धि हुई है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में आयकर सहित प्रत्यक्ष कर संग्रहण लगभग ₹16 लाख करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से 16% अधिक है। ऐसे में इस बजट में करदाताओं, छोटे निवेशकों और मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में कटौती और टैक्स ढांचे को आसान बनाने का प्रयास किया गया है।

नए टैक्स रिजीम के तहत वित्तमंत्री ने आयकर स्लैब में बड़े बदलाव किए हैं, ताकि अधिक से अधिक करदाता इसे अपनाने के लिए प्रेरित हों। 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा और विभिन्न आय स्तरों पर टैक्सपेयर्स को बड़ी बचत का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, नए बजट में सीनियर सिटिजन के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) की सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है, और वेतनभोगी वर्ग को ₹75,000 की छूट दी गई है।

हालांकि, देश में आयकर सुधारों के कारण आयकर संग्रह में वृद्धि हुई है, फिर भी आयकर दायरे में विस्तार की बहुत संभावनाएं हैं। वित्तमंत्री ने बजट में आयकर सुधारों के लिए नई व्यवस्था की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य आयकर अधिनियम 1961 को आसान और प्रभावी बनाना है। यह नया कानून मौजूदा कानून में सिर्फ संशोधन नहीं होगा, बल्कि पूरी तरह से नया होगा, जिसमें अनावश्यक और अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जाएगा, कर विवादों को कम किया जाएगा, और अनुपालन को आसान बनाया जाएगा।

निश्चित रूप से, बजट 2025-26 में किए गए आयकर राहत और अन्य विशेष प्रावधानों से मध्यम वर्ग की मुस्कान बढ़ेगी। मध्यम वर्ग की बढ़ी हुई क्रयशक्ति खपत में वृद्धि, विकास दर में सुधार और अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के रूप में दिखाई देगी।

- डॉ. जयंतीलाल भंडारी (ख्यात अर्थशास्त्री)

111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9, मो. 9425478705 (फोन- 0731 2482060, 2480090)




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