सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में गंभीर गलती की है। हम इसे खारिज करते हैं और केस को वापस सेशन कोर्ट भेजते हैं। सेशन कोर्ट इसे नए सिरे से देखेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दो निर्देश दिए हैं - हम संसद को सुझाव देते हैं कि POCSO एक्ट में बदलाव करें और इसके बाद पोर्नोग्राफी शब्द की जगह चाइल्ड सेक्शुअली एब्यूसिव एंड एक्सप्लॉइटेटिव मटेरियल का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए अध्यादेश भी लाया जा सकता है। बेंच ने कहा, हमने यह फैसला बच्चों के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं के आधार पर दिया। ऐसे मामलों की शिकायत करने में समाज की कितनी भूमिका है, इस पर भी ध्यान रखा। इससे पहले, केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर दूसरे को दिखा रहा है तो यह गैरकानूनी होगा। इसी फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी, 2023 को एक आरोपी को दोषमुक्त कर दिया था।