भारत में महिलाओं का बैंक खातों में योगदान और डीमैट खातों की वृद्धि


भारत में महिलाओं का बैंक खातों में योगदान और डीमैट खातों की वृद्धि

भारत में कुल बैंक खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी 39.2% है। वहीं, कुल जमा धन में महिलाओं का योगदान 39.7% है, जैसा कि सरकार द्वारा 6 मार्च को दी गई जानकारी में बताया गया। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण इलाकों में खुले बैंक खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी 42.2% है। पिछले कुछ वर्षों में डीमैट खातों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो शेयर बाजार में बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है। 31 मार्च, 2021 से 30 नवंबर, 2024 तक डीमैट खातों की कुल संख्या 3.32 करोड़ से बढ़कर 14.30 करोड़ हो गई है, जो चार गुना से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।

हालांकि पुरुष खाताधारकों की संख्या हमेशा महिला खाताधारकों से अधिक रही है, फिर भी महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि का रुझान देखा गया है। महिला डीमैट खातों की संख्या 66 लाख से बढ़कर 2.7 करोड़ हो गई है।

महिला डीमैट खातों में वृद्धि

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, "पुरुष डीमैट खातों की संख्या 2021 में 2.65 करोड़ से बढ़कर 2024 में 11.53 करोड़ हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान महिला डीमैट खातों की संख्या 66 लाख से बढ़कर 2.7 करोड़ हो गई।" आंकड़ों के अनुसार, "वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवा क्षेत्रों में महिलाओं के स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों के प्रतिशत में वृद्धि देखी गई है।"

स्टार्टअप्स इकोसिस्टम में महिलाओं की संख्या बढ़ी

पिछले कुछ वर्षों में, डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या में वृद्धि हुई है, जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक हैं, जो महिला उद्यमिता में सकारात्मक रुझान को दर्शाता है। ऐसे स्टार्टअप्स की कुल संख्या 2017 में 1,943 से बढ़कर 2024 में 17,405 हो गई है।

मतदाता पंजीकरण और श्रम बल भागीदारी में वृद्धि

भारत में कुल मतदाताओं की संख्या 1952 में 17.32 करोड़ से बढ़कर 2024 में 97.8 करोड़ हो गई है। इसके साथ ही महिला मतदाता पंजीकरण में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है। प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर लिंग समानता सूचकांक (GPI) लगातार समान रहा है, जो मजबूत महिला नामांकन को दर्शाता है। उच्च प्राथमिक और प्रारंभिक स्तरों में उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन यह समानता के करीब रहा है।

आंकड़ों के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लिए सामान्य स्थिति में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 49.8% (2017-18) से बढ़कर 60.1% (2023-24) हो गई है, जो श्रम बल में महिलाओं की बेहतर भागीदारी को दर्शाता है।




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