विश्व बैंक ने भी घटाया भारत की वृद्धि दर अनुमान
विश्व बैंक ने 'बढ़ते चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण' के कारण 23 अप्रैल को वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को घटाकर 6.3% कर दिया। अक्टूबर 2024 के अपने पूर्व अनुमान में 40 आधार अंक की कटौती की गई है।
विश्व बैंक की साउथ एशिया डेवलपमेंट अपडेट रिपोर्ट के मुताबिक, 'मौद्रिक नरमी और विनायमकीय सुचारुपन से निजी निवेश को होने वाले लाभ वैश्विक आर्थिक कमजोरी और नीतिगत अनिश्चितता से प्रभावित होने के आसार हैं।' इसमें कहा गया कि निर्यात की मांग व्यापार नीति में बदलाव और सुस्त वैश्विक वृद्धि के कारण कम रहेगी। कर में कटौती से निजी खपत बढ़ने की उम्मीद है और सार्वजनिक निजी योजना को बेहतर ढंग से लागू किए जाने के कारण सरकारी निवेश को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
विश्व बैंक के एशिया के वाइस प्रेसिडेंट मार्टिन रेजर के अनुसार, 'बीते दशक में आए कई झटकों के कारण दक्षिण एशिया के देशों के पास बढ़ते वैश्विक चुनौतीपूर्ण वातावरण से निपटने के लिए सीमित संसाधन हैं।' उन्होंने बताया 'इस क्षेत्र को कमजोर राजकोषीय स्थिति, पिछड़े कृषि क्षेत्रों और जलवायु संबंधी झटकों के कारण उत्पन्न जोखिम से निपटने के लिए लक्षित सुधारों की आवश्यकता है।' विश्व बैंक की 'टैक्सिंग टाइम्स' रिपोर्ट के मुताबिक भारत का वृद्धि अनुमान वित्त वर्ष 25 के लिए घटाकर 6.5% किया गया है।
विश्व बैंक ने क्षेत्रीय परिदृश्य में कहा कि घरेलू राजस्व जुटाने में तेजी लाने से क्षेत्र की नाजुक राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने और भविष्य के झटकों के प्रति लचीलापन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की इक्विटी मार्केट हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है। यह मार्केट सूचीबद्धता और मूल्यांकन दोनों मायनों में बढ़ी है। इस मार्केट ने विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण रूप से कोष को आकर्षित किया जबकि इस दौरान उतार-चढ़ाव व शुद्ध आपूर्ति भी कायम रही। रिपोर्ट के अनुसार 'स्टाक मार्केट का मूल्यांकन बीते वर्ष शीर्ष पर पहुंचने के बाद करक्शन के स्तर पर पहुंचा है।'