वातावरणीय विज्ञान, भू-भौतिकी, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, ग्रहीय विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान तथा मृदा विज्ञान के सम्मिलित अध्ययन को अर्थसाइंस कहा जाता है। पर्वतों के बनने, महाद्वीपों के खिसकने, ज्वालामुखी फटने के क्या कारण हैं, वैश्विक पर्यावरण किस तरह परिवर्तित हो रहा है, पृथ्वी की प्रणाली किस प्रकार कार्य करती है ? भविष्य की पीढिय़ों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए समाज की ऊर्जा और पानी की माँग को कैसे पूरा किया जा सकता है ? जिस प्रकार विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, क्या हम उसके लिए पर्याप्त खाद्य तैयार कर सकते हैं तथा किस प्रकार खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, ये सभी विषय अर्थसाइंस के अध्ययन क्षेत्र में सम्मिलित हैं। गौरतलब है कि अर्थसाइंस की कई शाखाएँ हैं। इनमें पर्यावरण अध्ययन, माइनिंग, जियोटेक्नोलॉजी, डिजास्टर मैनेजमेंट, एटमॉसफियरिक साइंस, जियो हैजाडर््स, क्लाइमेट चेंज, ओशियनोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, एप्लायड हाइड्रो-जियोलॉजी, कार्टोग्राफी और जियोग्राफिक इंफर्मेशन सिस्टम आदि प्रमुख हैं। अर्थसाइंस जियोलॉजी से भिन्न विज्ञान है। जियोलॉजी में केवल भूतल का ही अध्ययन किया जाता है जबकि अर्थसाइंस इसकी प्रक्रिया के अध्ययन की बात करता है। जैसे जलवायु में बदलाव कैसे आ रहा है। आगामी 200 सालों में पृथ्वी में क्या बदलाव आएगा ? इन सबको एक निरंतरता में समझाने का कार्य अर्थसाइंस विषय द्वारा किया जाता है। पृथ्वी के उद्गम विकास तथा इसके भीतर और बाहर चलने वाली हलचलों को जानना बहुत रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है ? शुक्र,मंगल, चंद्रमा आदि पर कौनसे खनिज संसाधन उपलब्ध हैं ? सिकुड़ते ग्लेशियरों का महासागरों तथा जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ? इस प्रकार की विभिन्न बातों का अध्ययन कर डाटा एकत्रण, उसका विश्लेषण तथा निष्कर्ष पर पहुँचने का काम अर्थसाइंस विषय में सम्मिलित है। अर्थसाइंस समस्याओं को सुलझाने और संसाधन प्रबंधन, पर्यावरणीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मानव कल्याण के लिए शासकीय नीतियों को तैयार करने में प्रयुक्त अनिवार्य सूचना व डाटा बेस उपलब्ध कराता है। बारहवीं कक्षा भौतिकी, गणित तथा रसायन शास्त्र विषय से उत्तीर्ण छात्र अर्थसाइंस के स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। अर्थसाइंस का डिग्री कोर्स करने के उपरांत जियोलॉजिस्ट के शासकीय पदों पर नियुक्त हुआ जा सकता है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा भी समय-समय पर जियोलॉजिस्ट की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की जाती है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड भी हाइड्रो-जियोलॉजिस्ट के पदों पर अर्थसाइंस के डिग्री धारकों की नियुक्ति करता है। अर्थसाइंस में पीएचडी करने के बाद साइंटिस्ट के पद पर भर्ती होती है। इसके अलावा ओएनजीसी, वेदान्ता, हिन्दुस्तान जिंक लि. जैसी कई प्रमुख कंपनियाँ अर्थसाइंस के विशेषज्ञों को अपने यहाँ नियुक्त करती हैं। अर्थसाइंस का कोर्स करने के उपरांत खनन, तेल व प्राकृतिक गैस, भू-जल, कोयला, जियो तकनीक, जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण अध्ययन, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के चमकीले अवसर उपलब्ध हैं। अर्थसाइंस के विभिन्न कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। आईआईटी, खडग़पुर। आईआईटी, रूडक़ी। इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद। पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, पुदुचेरी।