वर्तमान समय में मानव जीवन में मशीनों का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है इसीलिए मशीनों में भी एक आकर्षक सृजनात्मक कॅरियर छुपा हुआ है। मशीनों या विभिन्न औद्योगिक उत्पादों की यही सृजनात्मक डिजाइनिंग इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग कहलाती है। प्रतियोगिता के इस दौर में विभिन्न कंपनियाँ, चाहे वे कार बनाती हों या फ्रिज, इलेक्ट्रिक प्रेस बनाती हों या टेलीविजन, वाशिंग मशीन बनाती हों या कम्प्यूटर या किसी भी मशीनी उत्पादों के निर्माण से जुड़ी हों, उनके उत्पादों की डिजाइनिंग में एक नयापन, एक ताजगी साफ झलकती है। मशीन के डिजाइन में किसी भी परिवर्तन के लिए साफतौर पर इंडस्ट्रियल डिजाइनर ही जिम्मेदार होता है। यही कारण है कि बदलते वक्त के साथ इंडस्ट्रियल डिजाइनरों की माँग का ग्राफ भी एकदम चढ़ा है। देखा जाए तो मशीनों में रुचि रखने वाले कलात्मक प्रवृत्ति के लोगों के लिए यह एक आकर्षक करियर विकल्प है। इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग से संबंधित पाठ्यक्रमों की बात करें, तो इनके कई पहलू हैं, जिनमें से किसी एक में आप महारत हासिल कर सकते हैं। जैसे प्रोडक्ट डिजाइन इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइन इंजीनियरिंग, सेरेमिक टेक्नोलॉजी, टॉय डिजाइनिंग, ऑटोमोबाइल डिजाइनिंग आदि। डिजाइनिंग से जुड़े इस क्षेत्र में ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम के लिए बारहवीं पास होना आवश्यक है। इसी तरह इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर ऑफ डिजाइन पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर में स्नातक डिग्री या समकक्ष योग्यता आवश्यक है। इस क्षेत्र में आने वाले दक्ष लोग शुरू में वेतन के रूप में 10 से 15 हजार रुपए प्रतिमाह कमा लेते हैं तथा अनुभव के बूते इनका वेतनमान एक से डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह तक पहुँच जाता है। इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का पाठ्यक्रम इन संस्थानों में उपलब्ध है- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, (एनआईडी)- अहमदाबाद, बंगलुरू, दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली।