इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए, किसी परीक्षा में कुल 100 छात्र बैठे। उस परीक्षा में आपने कुल 80 प्रश्नों में से 68 प्रश्न हल किए तो आपकी परसेंटेज 85 होगी। अब मान लीजिए कि उसी परीक्षा में अन्य सभी परीक्षार्थियों को आपसे कम अंक आए। ऐसी स्थिति में आपका परसेंटाइल 99 होगा। कुल मिलाकर यह समझ लीजिए कि आपका जो भी परसेंटाइल है, उतने छात्र आपसे नीचे हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी परसेंटेज कितनी है। यदि आपका परसेंटाइल 98 है तो उस परीक्षा में बैठने वाले 98 प्रतिशत छात्रों के अंक आपसे कम हैं। यही कारण है कि जिस छात्र का परसेंटाइल जितना अधिक होता है, उसके उस परीक्षा में चयनित होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।