परफ्यूम के कॉम्पोजिशन और उनकी फ्लेवरिंग को तैयार करने वाला जानकार परफ्यूमर्स कहलाते हैं तथा फ्रेग्रेंस प्रोडक्शन में इनकी बेहद अहम भूमिका होती है। ये परफ्यूम में इस्तेमाल किए जाने वाले इंग्रीडिएंट्स के गुणों और रिएक्टिविटी को समझकर नए अरोमा (खुशबू) फॉर्मूले तैयार करते हैं। ये न केवल परफ्यूम्स के लिए बल्कि हर तरह के प्रोडक्ट जैसे एयर क्रेशनर्स, रूम फ्रेशनर्स, एंटीपरस्पिरेंट्स, लॉन्ड्री तथा क्लीनिंग प्रोडक्ट्स, पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स आदि के लिए भी एरोमा फॉर्मूला तैयार करते हैं। इन्हें फ्रेग्रेंस केमिस्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए केमिस्ट्री से बीएससी अथवा एमएससी करने के बाद परफ्यूमरी एंड फ्लेवर्स टेक्नोलॉजी में मास्टर्स डिग्री, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट प्रोग्राम इन एरोमा मैनेजमेंट, एरोमा टेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन, परफ्यूमरी एंड कॉस्मेटिक मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा में से कोई एक कोर्स करना जरूरी होता है। एक बेहतरीन परफ्यूमर बनने के लिए ‘सेंस ऑफ स्मेल’ होना सबसे जरूरी है। इसके अलावा आपमें अलग-अलग खुशबुओं को आकर्षक तरीके से कंबाइन करने की प्रतिभा,अच्छी याददाश्त, धैर्य, पैशन, टीम वर्किंग स्किल होनी चाहिए। शुरुआत में परफ्यूम हाउसेज अथवा कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में 20-25 हजार रुपए मासिक की जॉब आसानी से मिल जाती है जो कुछ साल के अनुभव के बाद 60 से 80 हजार रुपए तक पहुँच जाती है। परफ्यूमरी एवं फ्लेवर्स टेक्नोलॉजी में कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं- इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई। मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई। वी.जी. वझे कॉलेज ऑफ आट्र्स, साइंस एंड कॉमर्स, मुंबई। फ्रेग्रेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर, कन्नौज।