बीज विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का कृषि के विकास में अहम योगदान है। अनुवांशिक रूप से उन्नत बीजों के बारे में आज हम सभी जानते हैं। इन बीजों को अधिक उत्पादक बनाने का काम बीज विज्ञान ही करता है। बीज विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के कार्य का दायरा बहुत बड़ा है, जो बीजों के विकास, परिपक्वीकरण, अंकुरण जैसे पहलुओं से संबंधित होता है। इसके लिए विभिन्न प्रकार की बीज सेम्पलिंग, टेस्टिंग, कंडीशनिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और स्टोरेज मसलों पर शोध के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में बीज विज्ञानी की अहम भूमिका होती है, जो बीजों के आकलन, मूल्यांकन, जलवायु, रोग प्रतिरोधकता आदि के बारे में शोध करते हैं। बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कोर्स में दाखिला स्नातक के बाद लिया जा सकता है, जिसके लिए एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, बायोलॉजी अथवा फॉरेस्ट्री में स्नातक होना जरूरी है। कोर्स में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इस क्षेत्र में बतौर एग्रीकल्चर साइंटिस्ट, रिसर्च ऑफिसर, सीड प्रोडक्शन सर्टिफिकेशन ऑफिसर, सीड टेस्टिंग ऑफिसर, सीड इंस्पेक्टर और लेक्चरर के तौर पर नियुक्त हुआ जा सकता है। बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का कोर्स इन संस्थानों में उपलब्ध है- इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पूसा रोड, नई दिल्ली-12। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस, बैंगलुरू, कर्नाटक। आचार्य एन. जी. रंगा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हैदराबाद। हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार।