मैं अनुवादक बनना चाहता हूँ। कृपया जानकारी प्रदान करें।

अनुवाद (ट्रांसलेटर) ग्लोबलाइजेशन के परिणाम स्वरूप उभरे रोजगार के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के एक दूसरे के करीब आ जाने की वजह से भाषायी योग्यताओं का अब पहले से कहीं ज्यादा महत्व बढ़ गया है। वर्तमान में विश्व को एक वैश्विक गाँव बनाने का सपना पूरा करने में अनुवादक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चाहे विदेशी फिल्मों की भारतीय भाषा में डबिंग हो या विदेशी भाषा की पुस्तकों का अनुवाद, अनुवादक की हर जगह जरूरत पड़ती है। भारत में संसद की कार्यवाही को आम जनता तक पलक झपकते पहुँचाने का कार्य भी अनुवादक के जरिए ही संभव है। अनुवादक बनने के लिए विश्वविद्यालयों में मूल तौर पर डिप्लोमा और डिग्री कोर्स हैं। डिप्लोमा एक साल का होता है। इसमें दाखिला लेने के लिए किसी भाषा में स्नातक होना जरूरी है। साथ ही दूसरी भाषा के ज्ञान और पढ़ाई की भी माँग की जाती है। मसलन हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद के डिप्लोमा कोर्स के लिए दोनों भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है। इनमें से छात्र ने किसी एक में स्नातक किया हो और इसके साथ ही साथ दूसरी भाषा भी पढ़ी हो। अनुवाद की कला से रूबरू कराने के लिए आज विश्वविद्यालयों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में ढेरों कोर्स भी चल रहे हैं। अनुवाद में आज विश्वविद्यालय एम. फिल तथा पीएचडी भी करा रहे हैं। गौरतलब है कि अनुवाद का काम महज डिग्री व डिप्लोमा से ही नहीं सीख जा सकता है। इसके लिए निरंतर अभ्यास और व्यापक ज्ञान की भी जरूरत पड़ती है। यह दो भाषाओं के बीच सेतु का काम करता है। अनुवादक का कोर्स करने के उपरांत छोटी कंपनियों से करियर की शुरुआत करें क्योंकि वे फ्रेशर्स को रखने की ज्यादा इच्छुक रहती हैं। हर प्रकार के विषयों पर कार्य करते हुए अपना करियर प्रोफाइल बनाने का प्रयास करें। जैसे ही आपमें विश्वास का स्तर कायम हो जाएगा तो आप कार्य के लिए आयात-निर्यात एजेंसियों को लक्ष्य बना सकते हैं। आप स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए कई संगठनों के साथ भी जुड़ सकते हैं। यदि आप स्वतंत्र काम नहीं करना चाहते हैं तो अनुभवी अनुवादकों के लिए सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण केन्द्रों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बहुत अवसर हैं। वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद का दायरा काफी बड़ा हो गया है। सरकारी स्तर पर अनुवाद जगह-जगह तो होते ही हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में तुलनात्मक साहित्य के अध्ययन में अनुवाद की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मीडिया में अनुवाद का अहम रोल है। दूतावासों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यवसायिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर एक-दूसरे से जोडऩे के लिए अनुवादक की जरूरत पड़ती है। इस लिहाज से देखें तो अनुवादक को पहले से ज्यादा और विविध क्षेत्रों में चमकीले अवसर मिल रहे हैं। अनुवाद के विभिन्न रोजगारोन्मुखी कोर्स संचालित करने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- भारतीय अनुवाद परिषद, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।

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