मैं एग्रीकल्चर इंजीनियरी के क्षेत्र में चमकीला करियर बनाना चाहता हूँ। कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें।

इसमें कोई दोमत नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ कृषि है । चूँकि भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है और इस संगठन के तहत भविष्य में भारतीय कृषि की उजली संभावनाएँ बताई जा रही हैं, अतएव युवाओं को कृषि के क्षेत्र में करियर के उजले अवसर देश ही नहीं अपितु दुनिया में भी प्राप्त होने की चमकीली संभावनाएँ हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियरी की बात की जाए तो एग्रीकल्चर इंजीनियरी कृषि, खाद्य पदार्थों और जैव प्रणालियों से संबंधित इंजीनियरी का नाम है। एग्रीकल्चर इंजीनियर कृषि उत्पादन और प्रसंस्करण तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास करते हैं। वे कृषि उत्पादन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए अपने इंजीनियरी संबंधी ज्ञान और कौशल का प्रयोग करते हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियरों को मृदा, जल, फसल और इंजीनियरी के सिद्धांतों के कृषि के क्षेत्र में अनुप्रयोग का प्रशिक्षण दिया जाता है। वे कृषि के यंत्रीकरण, उपज और उपज से बनने वाले उत्पादों के संरक्षण, बरबादी को कम से कम करने, मूल्य संवर्धन, अतिरिक्त आमदनी के लिए कृषि प्रसंस्करण उपक्रम लगाने, रोजगार के अवसर उत्पन्न करने तथा कृषि एवं ग्रामीण जीवन में ऊर्जा प्रबंधन के लिए निवेश उपलब्ध कराते हैं। वे परम्परागत किसानों तथा इंजीनियरों के बीच ज्ञान को जोडऩे वाले एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें कृषि उपकरणों और ऊर्जा, डेयरी व खाद्य प्रसंस्करण, कृषि संबंधी बुनियादी ढाँचे, भूमि और जल प्रबंधन इंजीनियरी तथा जल जीव पालन की जानकारी होती है। देश के विभिन्न संस्थान और विश्वविद्यालय एग्रीकल्चर इंजीनियरी में स्नातक डिग्री प्रदान करते हैं। इस पाठयक्रम में प्रवेश के लिए भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। पाठ्यक्रम में दाखिला प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। एग्रीकल्चर इंजीनियरी में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कृषि अभियांत्रिकी में बी.टेक. डिग्री आवश्यक है। दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा के साथ-साथ पिछली शैक्षिक उपलब्धियों का ध्यान रखा जाता है और साक्षात्कार भी लिया जाता है। एग्रीकल्चर इंजीनियरी में व्यावसायिक डिग्रीधारी प्रशिक्षित इंजीनियरों के लिए रोजगार के ढेर सारे अवसर उपलब्ध हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियर, कृषि से संबंधित उत्पादन, बिक्री, प्रबंधन, अनुसंधान और विकास या कृषि से संबंधित विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करते हैं। बड़ी संख्या में कृषि इंजीनियर निजी और सरकारी एजेंसियों में जैसे केंद्रीय तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्यों की कृषि अनुसंधान परिषदों में कार्य करते हैं। स्नातक डिग्रीधारी एग्रीकल्चर इंजीनियरों के लिए निजी और सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के उजले अवसर उपलब्ध हैं। निजी क्षेत्र के अन्तर्गत टे्रक्टर उद्योग में बिक्री अनुसंधान व विकास तथा प्रबंधन, सिंचाई उपकरण कंपनियों में बिक्री, अनुसंधान व विकास तथा अनुरक्षण, डेयरी तथा खाद्य पदार्थ उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण, अनुसंधान व विकास तथा प्रसंस्करण उपकरणों का अनुरक्षण, सॉफ्टवेयर के विकास के लिए कम्प्यूटर अनुप्रयोग, कृषि के यंत्रीकरण और नियंत्रण के लिए मशीनों व उपकरणों का उपयोग कृषि से संबंधित अनेक संगठनों, कृषि क्लिनिकों, कृषि व्यवसाय तथा एनजीओ में परामर्शदाता शामिल हैं। सरकारी क्षेत्र के अंतर्गत रोजगारों में कृषि के यंत्रीकरण, सिंचाई, पानी की निकासी, भूमि व जल संरक्षण इंजीनियरी, कमान क्षेत्र विकास, जल संभरण प्रबंधन, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में फील्ड एक्जी-क्यूटिव और इंजीनियर, प्रशिक्षण सहायक शामिल हैं। राष्ट्रीयकृत बैंक भी कृषि अधिकारी और प्रबंधकीय स्तर के पदों के लिए एग्रीकल्चर इंजीनियरों की भर्ती करते हैं। इसके अलावा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्रों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व अन्य संगठनों में अध्यापन, अनुसंधान व विकास, विस्तार तथा इसी तरह के वैज्ञानिक एवं तकनीकी पद शामिल हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियरी का कोर्स कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली। आणंद कृषि विश्वविद्यालय, आणंद, गुजरात। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल। गोविंद वल्लभपंत कृषि एïवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तरांचल। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली।

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