औद्योगिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मानवीय और कृत्रिम संसाधन जुड़े रहते हैं। बहुत बड़ी संख्या में औद्योगिक कर्मचारियों पर सीधे तौर पर तथा सामान्यत: औद्योगिक परिणामों के प्रभाव से जनता पर अप्रत्यक्ष रूप से किसी औद्योगिक दुर्घटना या अनिष्टï के जोखिमों का खतरा सदा ही मंडराता रहता है। ये औद्योगिक चिंताएँ विभिन्न श्रेणियों में आती हैं, जैसे कि उत्पादन संबंधी तथा सेवा उन्मुख आदि। उत्पादन से संबंधित उद्योगों में रासायनिक संयंत्र, फार्मास्युटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण, ताप विद्युत आधारित इकाइयाँ, परमाणु संयंत्र, भारी यंत्र उत्पादन, पूँजीगत वस्तु उद्योग, वस्त्र, कागज उद्योग, बिजली उपकरण निर्माण उद्योग, पेट्रोकेमिकल्स, ऑटोमोबाइल आदि सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग के अंतर्गत, परिवहन, पर्यटन, पैकेजिंग,संभार तंत्र, बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय सेवाएँ शामिल हैं। दोनों प्रकार के औद्योगिक प्रतिष्ठïानों में अपेक्षित उत्पादों का विनिर्माण करने या अपेक्षित सेवाएँ प्रदान करने की प्रक्रिया में विभिन्न तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। ये सभी प्रक्रियाएँ इतनी अधिक जटिल तथा एक दूसरे से इतनी ज्यादा जुड़ी होती हैं कि दुर्घटनाओं की संभावनाएँ निर्मित हो जाती हैं। जिससे बड़ी संख्या में मानव, संपत्ति, वनस्पति और पौधों के साथ-साथ पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुँचती है। गौरतलब है कि 1984 में अमेरिकी कीटनाशक उत्पादन कंपनी यूनियन कार्बाइड के भोपाल स्थित संयंत्र से लीक हुई जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड के कारण हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग आज भी इस गैस के दुष्परिणामों को भुगत रहे हैं। इसी प्रकार कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पेयजल में विकिरण फैलने की घटनाएँ मानवीय जीवन और पर्यावरण पर औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण होने वाले दुष्परिणामों के कुछ उदाहरण हैं। ध्यातव्य है कि हमें औद्योगिक दुर्घटनाओं की कीमत कई प्रकार की हानियों के रूप में चुकानी पड़ती है, जैसे कि जीवन की हानि, सामाजिक हानि, पर्यावरण, स्वास्थ्य संबंधी हानि या प्रतिपूर्ति और बीमा दावों और कई अन्य प्रकार के खर्चों से जुड़ी लागत। इसी को देखते हुए विनिर्माण इकाइयों या सेवाएँ प्रदान करने के क्षेत्र में लगे संगठनों के लिए औद्योगिक सुरक्षा अब अपरिहार्य मुद्दा बन गया है। इन संगठनों में अब अंतरराष्टï्रीय मानक तथा औद्योगिक विशिष्टï नियमों का विशेष रूप से पालन किया जाता है। साथ ही औद्योगिक सुरक्षा के क्षेत्र में जानकारी रखने वाले लोगों की बहुत माँग है। औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों को विभिन्न प्रकार के कार्य करने होते हैं। इसलिए उनके लिए विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का मौलिक ज्ञान अपेक्षित योग्यता है, जिसमें रसायन विज्ञान, भौतिकी, सांख्यिकी, कम्प्यूटर्स, इंजीनियरी, बिजनेस, गणित, बीमा आदि शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने किसी संगत विनियामक शैक्षणिक प्राधिकरण या संस्था से औद्योगिक सुरक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम पूरा किया हो। औद्योगिक सुरक्षा अध्ययन में उद्योग की आवश्यकताओं को शामिल किया जाता है। औद्योगिक सुरक्षा अध्ययन के क्षेत्र में औद्योगिक सुरक्षा सिद्धांत, प्रबंधन तकनीकें, विषय विज्ञान, प्रणाली एवं प्रक्रिया सुरक्षा, इंजीनियरी खतरों का डिजाइन तथा नियंत्रण, दुर्घटना निरीक्षण जाँच, पर्यावरण सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, उत्पाद एवं निर्माण सुरक्षा, जाँच एवं स्वास्थ्य, उत्पाद एवं निर्माण सुरक्षा, सुरक्षा प्रदर्शन का मापन, सुरक्षा ऑडिट, सुरक्षा, पर्यावरणीय कानूनों, विनियमों तथा मानकों का अध्ययन शामिल होता है। सुरक्षा विशेषज्ञों की माँग सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों तथा सुरक्षा प्रबंध से जुड़ी एसोसिएशनों, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, आईएलओ, औद्योगिक सुरक्षा में अनुसंधान एवं विकास से जुड़े संगठनों आदि में भी होती है। कोई सुरक्षा विशेषज्ञ स्वतंत्र रूप से एक अंशकालिक विशेषज्ञ या सलाहकार के रूप में भी काम कर सकता है। राज्य तथा केंद्र सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सुरक्षा विशेषज्ञों की नियुक्ति करते हैं। विधि स्नातक सुरक्षा कानूनों तथा इनके कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दों के लिए विभिन्न संगठनों में अच्छा पद प्राप्त कर सकते हैं। सुरक्षा कानून विशेषज्ञों को श्रम निरीक्षणालयों, खान निरीक्षणालयों, निर्माणी निरीक्षणालयों आदि में नियुक्त किया जाता है। औद्योगिक सुरक्षा में दूरस्थ और नियमित शिक्षण पद्धतियों के तहत विभिन्न प्रकार के प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा/पी.जी. डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश की योग्यता बारहवीं से लेकर स्नातक तक है। ऐसे प्रमुख पाठ्यक्रम तथा उन्हें संचालित करने वाले देश के प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं- औद्योगिक सुरक्षा प्रबंधन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम पेरियार मनियाम्मई यूनिवर्सिटी, पेरियार नगर, वल्लभ, तंजावूर में उपलब्ध है। औद्योगिक सुरक्षा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा में उपलब्ध है। औद्योगिक सुरक्षा प्रबंधन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम कार्मिक प्रबंधन एवं औद्योगिक संबंध विभाग, पटना विश्वविद्यालय, दरभंगा हाउस, पटना में उपलब्ध है। सुरक्षा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम नेशनल सेफ्टी काउंसिल, एचक्यू एवं इंस्टीट्यूट बिल्डिंग प्लॉट नं. 98ए, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर, 15, बेलापुर, नवी मुंबई में उपलब्ध है।