वर्तमान समय में अधिकांशत: पालकों के नौकरी पेशा होने के कारण तथा एकल परिवारों के प्रचलन के कारण छोटे बच्चों के पालन तथा देख-रेख की समस्या एक प्रमुख समस्या के रूप में उभरी है। अपने करियर के प्रति सचेत महिलाएँ कार्यालय से ज्यादा दिनों तक छुट्टïी भी नहीं लेना चाहती हैं। एक और समस्या यह है कि घर में बच्चों को रखने वाली नौकरानियाँ आसानी से मिलती नहीं हैं तथा मिले भी तो उनकी माँगें पूरी कर पाना प्रत्येक पालक के लिए संभव नहीं हो पाता है। संभवतया इसी वस्तुस्थिति का परिणाम है- झूलाघर (बेबी के्रश) अथवा चाइल्ड केयर सेंटर्स। जहाँ ऐेसी कामकाजी महिलाएँ दिनभर अपने बच्चों को छोड़ जाती हैं तथा कार्यालय से आते समय वापिस ले जाती हैं। बच्चों की देखरेख के लिए ऐसे केन्द्र काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं तथा महानगरों से प्रारंभ होकर बड़े शहरों में तथा अब तो छोटे-छोटे शहरों एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी झूलाघर तेजी से खुलते जा रहे हैं। यद्यपि झूलाघर की इकाई कोई भी (स्त्री/पुरुष) स्थापित कर सकता है परन्तु इस प्रकार की इकाई के संचालन में महिलाएँ ज्यादा सफल हो सकती हैं। इस प्रकार की इकाई के संचालन के लिए उद्यमी/महिला में ममतामय हृदय, सहन-शक्ति, बाल मनोविज्ञान का ज्ञान तथा बच्चों की बीमारियों का सामान्य ज्ञान होना वांछित होगा। वस्तुत: यदि व्यवसाय के साथ-साथ सेवाभाव को भी सम्मिलित करके ऐेसी इकाई स्थापित की जाए तो यह न केवल व्यावसायिक रूप से काफी सफल सिद्ध हो सकती है बल्कि इसे समाज में काफी प्रतिष्ठïा भी मिल सकती है। गौरतलब है कि झूलाघर में प्राय: एक महीने की आयु से लेकर 10 साल तक की आयु के बच्चे आते हैं। जाहिर है कि विभिन्न आयु समूहों के बच्चों के लिए झूलाघर में दी जाने वाली सेवाएँ भी अलग-अलग प्रकार की ही होंगी। इस संदर्भ में जहाँ तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के संदर्भ में दी जाने वाली सेवाएँ उन्हें साफ-सुथरा रखने, नहलाने-धुलाने, दूध इत्यादि पिलाने से संबंधित होगी, वहीं बड़े बच्चों के संदर्भ में उनका मनोरंजन करने, उन्हें पढ़ाने-लिखाने, खेल खिलाने आदि संबंधी सेवाएँ दी जाएँगी। प्राय: दूध अथवा खाना आदि बच्चे घर से ही लाते हैं तथा झूलाघरों में केवल उसे गर्म करके अथवा परोसने तथा अपनी देखरेख में खिलाने का कार्य किया जाता है। परन्तु यदि पालक चाहें तो झूलाघर से ये सेवाएँ भी प्रदान की जा सकती हैं। सर्वसुविधा युक्त झूलाघर की इकाई की स्थापना हेतु 800 वर्गफीट का कार्यस्थल बहुत अच्छा माना जाता है। यदि आप ऐसी इकाई अपने घर में ही स्थापित कर सकें तो यह अति उत्तम रहेगा क्योंकि इससे बच्चों की देख-रेख सही रूप से की जा सकेगी। झूलाघर के पास बच्चों के खेलने के लिये खुली जगह होनी चाहिए यथासंभव झूलाघर किसी सडक़ अथवा व्यस्त मार्ग के आसपास नहीं होना चाहिए। झूलाघर के सफल तथा प्रभावी संचालन के लिए मुख्यतया निम्नलिखित उपकरणों, साधनों तथा सुविधाओं की आवश्यकता होती है- गैस सिलेंडर तथा चूल्हा, शुद्ध पानी हेतु वॉटर फिल्टर, बिस्तर, गिलास, थाली, कटोरी, बर्तन/भगोने, म्यूजिक सिस्टम, टेलीविजन, झूले /स्ंिलग्स, खिलौने, बाल्टियाँ/टब/पानी स्टोरेज की व्यवस्था, ब्लैक बोर्ड, बच्चों के लिए मनोरंजक पुस्तकें, बच्चों के लिए कुर्सियाँ तथा अन्य सुविधाएँ। झूलाघर की ईकाई की स्थापना से संबंधित विस्तृत जानकारी अपने जिले में स्थित जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र से प्राप्त की जा सकती है।