नए स्टाइल में लेटर, फॉन्ट, टाइपफेस और अल्फाबेट डेवलप करना एक तरह की कला है, जिसे टाइपोग्राफी कहा जाता है। नया टाइपफेस और फॉन्ट्स बनाने वाले प्रोफेशनल्स को टाइपोग्राफर्स कहते हैं। ये कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से ग्राफिक नॉवेल्स, ब्लॉग्स, न्यूजपेपर विज्ञापन और दूसरे पब्लिकेशंस के लिए सिग्नेचर स्टाइल्स डिजाइन करते हैं। टाइपोग्राफी ज्यादातर संस्थानों में डिजाइनिंग कोर्स का एक अहम हिस्सा होता है। अगर आप में भी ऐसा कुछ क्रिएट करने की क्षमता है, तो इस फील्ड में संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। बैचलर ऑफ फाइन आट्र्स अथवा बैचलर ऑफ विजुअल आट्र्स का कोर्स करके आप टाइपोग्राफी के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं उत्तीर्ण है। इस करियर में सफल होने के लिए आप में क्रिएटिविटी का होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही मार्केट में अपनी पहचान बनानी होगी। यह ग्राहक की संतुष्टि से ही संभव है। पहचान बन जाने के बाद काम आसानी से मिलने लगता है। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि कोई ग्राहक आपके काम को रिजेक्ट कर दे और दूसरा ग्राहक उसे खरीद ले। इसलिए अपने किसी भी क्रिएशन को वेस्ट न समझें। रिजेक्ट किए गए काम को नया रूप देने का प्रयास करते रहें। जिस टाइपोग्राफर के पास फॉन्ट्स, टाइपफेस और अल्फाबेट्स का जितना ज्यादा कलेक्शन होता है, वह इस फील्ड में उतना ही आगे बढ़ सकता है। टाइपोग्राफी का कोर्स कराने वाले देश के प्रतिष्ठित संस्थान इस प्रकार हैं- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद। सर जेजे स्कूल ऑफ आट्र्स, मुंबई। दिल्ली कॉलेज ऑफ आट्र्स, नई दिल्ली।