तेजी से बढ़ रहे लाख के उपयोग और लाख से संबंधित नए-नए अनुसंधानों की वजह से लाख का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता ही जा रहा हैं । विद्युतरोधी क्षमता, गर्म अवस्था में ढालने पर किसी भी प्रकार का आकार ग्रहण करने की क्षमता, गंधहीनता आदि गुणों के कारण लाख का उपयोग व खपत बढ़ने की संभावनाएँ बढ़ रही हैं । लाख का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है । जैसे- दवाओं और खाद्य सामग्रियों के संरक्षण में, वार्निश-पेंट और लेप बनाने में, लाख-मोम, लाख रंग, लाख मोहर का निर्माण, विद्युत अवरोधक, सौंदर्य प्रसाधन, सौर ऊर्जा सेल, बूट पॉलिश व बम निर्माण आदि विभिन्न उद्योगों में लाख का उपयोग किया जाता हैं । अत: इसका एक विस्तृत बाजार देश तथा विदेश दोनों में ही उपलब्ध है। लाख के प्रमुख निर्यातक बाजारों में अमेरिका, जर्मनी, इंडोनेशिया, इंग्लैंड एवं सऊदी अरब आदि देश शामिल हैं। लाख प्रशोधन के कार्य में कोई विशिष्ट प्रकार की तकनीक वाली मशीनरी जरूरी नहीं होती है। इसकी प्रशोधन प्रक्रिया 6 चरणों से होकर गुजरती है, जिसे मुख्यत: हाथों से और साधारण सी मशीनों जैसे- भट्टी, पल्वराईजर, गोल पत्थर के मटके, पोर्सलीन रोलर्स आदि के द्वारा प्रशोधित किया जाता है। इस इकाई की लागत भी अधिक नहीं होती है। इतना ही नहीं भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान, रांची (झारखण्ड) के द्वारा लाख के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों को सब्सिडी और सहायता भी प्रदान की जाती हैं। यहाँ पर लाख उत्पादन तकनीक, लाख प्रसंस्करण और उत्पाद विकास पर प्रशिक्षण व परामर्श, विपणन आदि के लिए भी मार्गदर्शन दिया जाता है। यह भी जरूरी है कि इस इकाई को शुरू करने के पहले पर्याप्त अनुभव लिया जाए।