विदेश जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए क्या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से कोई प्रमाणपत्र लेना होता है ? विदेश से एमबीबीएस की डिग्री करने के उपरांत भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए क्या करना होता है ?

केंद्र सरकार ने विदेशों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के मामले में नियमों को बहुत कठोर कर दिया है। ऐसे स्टूडेंट्स को अब एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए किसी विदेशी संस्थान में एडमिशन लेने से पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से इलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके बाद ही वह विदेशी कॉलेज के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले पाएगा। एमसीआई ने शिक्षण सत्र 2016-17 से यह प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया है। इसका कारण यह है कि विगत कई वर्षों से यह देखा जा रहा था कि विदेशों से पढक़र आने वाले बहुत सारे मेडिकल के छात्र न्यूनतम अर्हताओं को पूरा नहीं करते हैं, जो भारत में मेडिकल डिग्री हासिल करने के लिए अनिवार्य होती हैं। ऐसे में उनकी डिग्री बाद में बेकार हो जाती थी। इसलिए यदि पहले वे अपने प्रमाणपत्र दिखाकर एमसीआई से अर्हता प्रमाणपत्र हासिल कर लेंगे तो बाद में यह समस्या उनके समक्ष नहीं आएगी। छात्र जब विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेकर वापस भारत लौटेंगे तो उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने से पहले मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा-नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स (एनबीई) उत्तीर्ण करनी होती है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के उपरांत ही उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस (डॉक्टर के रूप में कार्य) करने का रजिस्ट्रेशन प्रदान किया जाता है। गौरतलब है कि विदेश से एमबीबीएस की डिग्री लेकर भारत आने वाले 77 प्रतिशत डॉक्टर भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए होने वाली एनबीई परीक्षा में फेल हो जाते हैं तथा उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस का रजिस्ट्रेशन नहीं दिया जाता, जिसके चलते उनकी डिग्री का भारत में कोई महत्व नहीं रहता। जो छात्र इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं केवल वही भारत में डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएँ दे पाते हैं।

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