सिरेमिक इंजीनियरिंग क्या है तथा इससे संबंधित पाठ्यक्रम कहाँ उपलब्ध हैं ?

सिरेमिक यानी ताप प्रतिरोधी (हीट-रेजिस्टेंट) मेटीरियल का इस्तेमाल बड़ी तादाद में होने से वर्तमान में इसकी लोकप्रियता का ग्राफ दिनों-दिन नई ऊँचाई छूने लगा है। आलम यह है कि चाहे एस्ट्रोनॉट हो या डेंटिस्ट या बात हार्डवेयर्स, स्ट्रक्चरल मेटीरियल्स, इलेक्ट्रॉनिक सिरेमिक्स या प्रोटेक्टिव एवं रिफ्रेक्टरी कोटिंग की हो, यह पॉटरी ऑर्ट हर कहीं अपनी कला की अमिट छाप छोड़ रही है। एक सिरेमिक इंजीनियर सिरेमिक वस्तुओं के स्वरूप, उत्पादन, डिजाइन व इस्तेमाल के तौर-तरीकों में निपुण होता है। इन सिरेमिस्ट की नॉन मैटेलिक निर्जीव पदार्थों को नई-नई प्रोसेसिंग तकनीकों के जरिए ग्लासवेयर, फायबर ऑप्टिक्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स व पॉल्युशन कंट्रोल यंत्रों जैसे तमाम सिरेमिक उत्पादों को आकार-प्रकार देने में उपयोगी भूमिका होती है। ग्लोबलाइजेशन और उदार अर्थव्यवस्था की अवधारणा के चलते सिरेमिक्स इंजीनियर्स के पेशे को पंख लग गए हैं। यही वजह है कि सिरेमिक इंजीनियर को 20 से 30 हजार रुपए मासिक वेतन मिल जाता है। ये इंजीनियर बतौर जूनियर इंजीनियर, सहायक इंजीनियर, सुपरवाइजिंग इंजीनियर, चीफ इंजीनियर, प्लांट इंजीनियर, प्रोजेक्ट इंजीनियर, डायरेक्टर ऑफ रिसर्च व चीफ एक्जीक्यूटिव जैसे अनेक पदों पर कार्य करते हुए इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री, फायबर ऑप्टिक्स, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और न्यूक्लियर फील्ड जैसे क्षेत्रों में अपनी कुशलता का परिचय दे सकते हैं। सिरेमिक्स इंजीनियरिंग में बी.एससी./बी.टेक. प्रोग्राम के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्य और इंग्लिश विषयों के साथ बारहवीं न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। यह पाठ्यक्रम इन संस्थानों में उपलब्ध है- कॉलेज ऑफ सिरेमिक टेक्नोलॉजी, कोलकाता। शहीद भगतसिंह कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, फिरोजपुर, पंजाब। एस.के.ई. सोसायटीज पीडीए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गुलबर्ग, कर्नाटक। यूनीवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कोलकाता।

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