सोशल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का उद्देश्य सभी प्रकार की चुनौतियों के लिए एक्शन प्लान तैयार करना है, ताकि समाज के सभी वर्गों का समुचित विकास हो सके। सोशल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में डिजास्टर मैनेजमेंट, मैनेजमेंट इन्फर्मेशन सिस्टम, एग्री बिजनेस मैनेजमेंट, हॉस्पिटल मैनेजमेंट, मास मीडिया एंड कम्युनिकेशन, कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी, एनजीओ मैनेजमेंट, हेल्थ एंड डेवलपमेंट, फॉरेस्ट मैनेजमेंट तथा एजुकेशन जैसे विषयों की महत्वपूर्ण जानकारियों को समाहित किया गया है। सोशल इंजीनियरिंग में देश में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है। किसी भी विषय से स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थी इस पाठ्यक्रम हेतु होने वाली प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकता है। सोशल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को पूर्ण करने के पश्चात या साथ ही साथ प्रशिक्षु के रूप में आप कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से जुड़ सकते हैं। छात्र-छात्राएँ प्लानिंग कमीशन, स्टेट लेवल बोर्ड्स, स्टेट डेवलपमेंट कार्पोरेशन, रूरल डेवलपमेंट एजेंसीज, नाबार्ड, को-ऑपरेटिव्स, प्राइवेट सेक्टर, इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसीज जैसे वल्र्ड बैंक, यूनिसेफ आदि संस्थानों से जुड़ सकते हैं। ये संस्थाएँ आपको राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका प्रदान करती हैं। सोशल इंजीनियरिंग का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम लखनऊ विश्वविद्यालय में उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए डायरेक्टर/को-आर्डिनेटर, डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ, उत्तरप्रदेश से संपर्क करें।