मध्यप्रदेश में 19 महीनों में 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित
अब खेती मौसम की मेहरबानी पर नहीं, योजनाबद्ध सिंचाई पर निर्भर
31 जुलाई को मध्यप्रदेश विधानसभा में जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास विभाग की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें बताया गया कि बीते 19 महीनों में राज्य में 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई से जोड़ा गया। यह उतना ही रकबा है, जितना आजादी के बाद 56 वर्षों में जोड़ा गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 2003 तक प्रदेश में कुल सिंचित भूमि 7.68 लाख हेक्टेयर थी, जो जुलाई 2025 तक बढ़कर 52.06 लाख हेक्टेयर हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि 2030 तक 100 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य है। इसके लिए स्वीकृत और निर्माणाधीन परियोजनाओं से 48.62 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त रकबा जोड़ा जाएगा।
मध्यप्रदेश की कुल बोवनी भूमि 158.48 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से अभी भी 100 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा सिंचित नहीं हो पाया है।
विभागों का योगदान:
- जल संसाधन विभाग: 2.39 लाख हेक्टेयर भूमि
- नर्मदा घाटी विकास विभाग: 5.11 लाख हेक्टेयर भूमि
जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं से लाभान्वित जिले:
राजगढ़, आगर मालवा, मंदसौर, सागर, छिंदवाड़ा, सिवनी, धार, खंडवा, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, भिण्ड, मुरैना, देवास, रतलाम, नीमच, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, विदिशा, रायसेन, सीहोर
नर्मदा घाटी परियोजनाओं से लाभान्वित जिले:
बड़वानी, खंडवा, खरगोन, सीहोर, देवास, उज्जैन, शाजापुर, कटनी, इंदौर, जबलपुर