19 सितंबर को नए भवन की पहली बैठक को भी ऐतिहासिक बनाने का जतन इसमें शामिल था। सबसे पहले पीएम ने ऐसी भूमिका बनाई कि विपक्षी खेमा नैतिक दबाव में रहे और उनके प्रस्ताव के विरोध की बजाय सर्वसम्मति की मंशा दिखाकर मोदी के प्रयासों पर विश्वसनीयता की गहरी मुहर लगा दे। वह बोले- 'लोकतंत्र में राजनीति, नीति और शक्ति का इस्तेमाल समाज में बदलाव का एक बहुत बड़ा माध्यम होता है। स्पेस हो या स्पोर्ट, स्टार्टअप या सेल्फ हेल्प ग्रुप, दुनिया भारतीय महिलाओं की ताकत देख रही है।
पीएम मोदी ने महिला कल्याण की योजनाओं का किया उल्लेख जी-20 की अध्यक्षता, वूमन लेड डेवलपमेंट की चर्चा का दुनिया स्वागत कर रही है। प्रधानमंत्री महिला आरक्षण विधेयक की घोषणा की भूमिका बना चुके थे, लेकिन उसके पहले वह यह संदेश भी देना चाहते थे कि महिलाओं के हित में यह उनकी सरकार की कोई पहल नहीं, बल्कि क्रमवार एक बड़ा कदम है।
इसीलिए अपनी योजनाओं का उल्लेख पहले किया। बोले- 'महिला सशक्तिकरण की हमारी हर योजना ने महिला नेतृत्व की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। आर्थिक समावेश को ध्यान में रखते हुए जनधन योजना शुरू की गई। पचास करोड़ लाभार्थियों में भी अधिकतम महिलाएं बैंक खातों की धारक बनीं। यह बहुत बड़ा परिवर्तन है।
मुद्रा योजना में बिना बैंक गारंटी दस लाख ऋण देने की योजना का लाभ पूरे देश में सबसे ज्यादा महिलाओं ने उठाया। पीएम आवास योजना की रजिस्ट्री ज्यादातर महिलाओं के नाम हुई, उनका मालिकाना हक बना।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक कौशल से बिना कांग्रेस का उल्लेख किए महिला आरक्षण के प्रति उसके दावों को खारिज करने का प्रयास किया। बोले- 'आज का यह दिन इतिहास में नाम दर्ज करने वाला होगा। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं, बहुत वाद-विवाद हुए है। महिला आरक्षण बिल को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए।
पीएम मोदी ने कहा कि 1996 में इससे जुड़ा बिल पहली बार पेश हुआ। अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण का बिल पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए। उसके कारण वह सपना अधूरा रह गया। एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। हम इस बिल को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
पीएम मोदी ने नए भवन में आते ही सांसदों को फिर से आचार-व्यवहार मर्यादित रखने का पाठ भी पढ़ाया। विपक्षी सांसदों की ओर मुखातिब मोदी ने कहा- 'भवन बदला है, भाव और भावना भी बदलना चाहिए। संसद राष्ट्र सेवा का सर्वोच्च स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है।
हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी पवित्र संस्था का निमार्ण दलहित नहीं, सिर्फ देशहित के लिए किया था। नए भवन में हम सभी अपनी वाणी, आचार, व्यवहार से, नए संकल्पों, और भावनाओं के साथ बढ़ें। हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि हम सभी सांसद आशाओं पर खरा उतरें, अनुशासन का पालन करें।' इसके बाद हंसते हुए बोले- 'देश हमें देखता है। अभी चुनाव तो दूर है, जितना समय हमारे पास बचा है इस संसद में, मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार होगा, वह निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठने के लिए व्यवहार करता है और कौन वहां बैठने के लिए व्यवहार करता है।