ट्रंप के टैरिफ से भारत को नई चुनौती
डॉ. जयंतिलाल भंडारी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार एवं मित्रता की नई ऊंचाइयों की उम्मीद थी, लेकिन 1 अगस्त को भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को "लगभग मृत" बताते हुए रूस की कमजोर अर्थव्यवस्था से तुलना की।
ट्रंप ने 70 देशों पर 10% से 41% तक टैरिफ लगाए हैं, जिसमें भारत पर 25% शुल्क सुनिश्चित किया गया है। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर कहा कि भारत हमारे मित्र हैं लेकिन दुनिया में सबसे ऊंचे टैरिफ भारत के हैं और वे रूस से हथियार व तेल खरीदते हैं, जबकि रूस यूक्रेन युद्ध में लिप्त है।
अंतरिम व्यापार समझौते पर संकट
जबकि भारत और अमेरिका के बीच 2025 के अंत तक एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की बातचीत चल रही है, भारत कृषि और डेयरी क्षेत्र में किसी भी तरह की रियायत देने को तैयार नहीं है। ये क्षेत्र करोड़ों भारतीयों की आजीविका से जुड़े हैं। अमेरिकी दबाव बढ़ाने के लिए ट्रंप ने उच्च टैरिफ की घोषणा की है।
व्यापार और प्रभाव
2024-25 में भारत ने अमेरिका को $86.5 बिलियन का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष से 11.6% अधिक था। आयात $45.7 बिलियन रहा, जिससे व्यापार अधिशेष $40.8 बिलियन रहा। 25% टैरिफ से ऑटो पार्ट्स, वस्त्र, धातु और फार्मा जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
GTRI का मानना है कि भारत का अमेरिका को निर्यात 30% गिरकर $60.6 बिलियन हो सकता है। बार्कलेज का कहना है कि इससे GDP में केवल 0.30% की गिरावट हो सकती है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है।
अमेरिका को बड़ा नुकसान संभव
SBI रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका में महंगाई, डॉलर में कमजोरी और GDP में गिरावट आ सकती है। यह नीति अमेरिका की घरेलू महंगाई पर नकारात्मक असर डालेगी जबकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भारत को राहत दे सकती है।
भारत का सख्त रुख
भारत की अर्थव्यवस्था निर्यात आधारित नहीं है, इसलिए निर्यात में गिरावट का असर सीमित होगा। प्रधानमंत्री मोदी का रुख सही है कि अगर अभी झुके तो आगे और दबाव आ सकता है। भारत ने अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए और ट्रंप की उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें अमेरिका भारत के विदेश संबंधों पर प्रभाव डालना चाहता है।
आगे की राह
भारत को अब अपने निर्यात बाजारों का विस्तार करना होगा। हाल ही में भारत ने कई मुक्त व्यापार समझौते (FTA) किए हैं और दक्षिण-पूर्व एशिया से आर्थिक संबंधों को मजबूत करना होगा। भारत को CPTPP जैसी साझेदारियों में शामिल होकर सेवा निर्यात को तेजी से बढ़ाना होगा।
भारत की 140 करोड़ आबादी, चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और युवाओं की बढ़ती क्रय शक्ति को देखते हुए, ट्रंप को भारत के साथ परस्पर लाभदायक व्यापार समझौते की ओर लौटना होगा।