मध्यप्रदेश में पैरामेडिकल कोर्सेस में एडमिशन का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को मध्यप्रदेश में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 और 2024-25 के लिए पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी। इससे पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ ने 16 जुलाई को एक याचिका के आधार पर इन पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
यह याचिका विधि छात्र संघ द्वारा दायर की गई थी। पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं का इस विषय से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं था और हाईकोर्ट ने अत्यधिक कठोर आदेश पारित किया।
रोहतगी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण कुछ पैरामेडिकल कोर्स समय पर शुरू नहीं हो पाए थे। काउंसिल के रजिस्ट्रार संस्थानों को मान्यता देते हैं और एडमिशन प्रक्रिया का नियमन करते हैं, लेकिन हाईकोर्ट का आदेश इस प्रक्रिया में रुकावट बन गया।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने सवाल किया कि "कानून के छात्र ऐसी याचिका कैसे दायर कर सकते हैं?" इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और राज्य सरकार व अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया।
हाईकोर्ट का स्थगन आदेश पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा 14 जुलाई को 166 संस्थानों को 2023-24 के लिए पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति देने के निर्णय के बाद आया था, जबकि इन्हें मान्यता वर्ष 2025 में मिलनी थी। कोर्ट ने पूछा कि जब संस्थान अस्तित्व में ही नहीं थे तो 2023-24 का सत्र कैसे शुरू कर सकते हैं।
कोर्ट ने पूर्वव्यापी मान्यता पर असहमति जताते हुए कहा कि यह सभी तर्क और विवेक को झुठलाता है और समझदार व्यक्ति की सूझबूझ पर सवाल उठाता है।