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यकीनन कोविड-19 के बाद देश में आँखों की विभिन्न बीमारियाँ लगातार तेजी से बढ़ती जा रही हैं। कम्प्यूटर और टेलीविजन लगातार लंबे समय तक देखने के कारण बच्चों की ही नहीं अपितु युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों की भी आँखे प्रभावित हो रही हैं। दुनिया के प्रसिद्ध विजन लॉस एक्सपर्ट ग्रुप और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस की नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 7.9 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी नजर कमजोर हैं और जिनके नेत्रहीन होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आँखों की देखरेख और इलाज से संबंधित ऑप्टोमेट्री का करियर तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है।
देश में करीब 2 लाख ऑप्टोमेट्रिस्ट की जरूरत
देश में ऑप्टोमेट्री का करियर किस तेजी से बढ़ने की संभावना रखता है, इसका अनुमान भी एक हालिया सर्वेक्षण से लगाया जा सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक इस समय भारत में दो लाख लोगों के लिए महज एक ऑप्टोमेट्रिस्ट है, जबकि अमेरिका और यूरोपीय देशों में प्रति दस हजार व्यक्तियों के पीछे एक ऑप्टोमेट्रिस्ट है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में करीब दो लाख क्वालिफाइड ऑप्टोमेट्रिस्ट की जरूरत है। इसे देखते हुए भारत में आने वाले वर्षों में योग्य ऑप्टोमेट्रिस्ट की माँग में जबरजस्त इजाफा होने वाला है।
ऑप्टोमेट्रिस्ट के विभिन्न कार्य
गौरतलब है कि ऑप्टोमेट्री एक विज्ञान है, जो मनुष्य की आँख की कार्यप्रणाली से संबद्ध है। यह विज्ञान ऑप्टिकल सिस्टम, लैंसेज के इस्तेमाल और अन्य तरह की ऑप्टिकल मदद, रेफे्रक्टिव एरर और उसके सुधार में डील करता है। यह हेल्थ केयर प्रोफेशन आँखों के सही परीक्षण, सही तरह से डायग्नोस और आँखों के सही तरह से इलाज से संबंधित है। एक ऑप्टोमेट्रिस्ट ऑप्टोमेट्री का डॉक्टर (ओडी) होता है, मेडिकल डॉक्टर नहीं होता। वह आँखों की असामान्यताओं को दूर करने के लिए विभिन्न विजन थैरेपियों का प्रयोग करता है और आँखों के लिए दवाएँ लिख सकता है। ऑप्टोमेट्रिस्ट के कार्यों में नेत्र रोगों के ऑक्यूलर और विजुअल लक्षणों को पहचानना, आँखों को प्रभावित करने वाली ढेरों समस्याओं को समझना तथा रोगियों को उपचार हेतु यथोचित विशेषज्ञों के पास भिजवाना शामिल होता है। इस प्रकार एक ऑप्टोमेट्रिस्ट आँखों से संबंधित समस्याओं की पहचान कर उनके निदान में अहम भूमिका निभाता है। ऑप्टोमेट्रिस्ट निर्धारित विशिष्टताओं के अनुसार लैंस फेब्रिकेयर कर उन्हें व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप फिट करता है। आप्टोमेट्रिस्ट हाईटेक मशीनों का उपयोग कर लैंसों को हार्ड या सॉफ्ट बनाता है और उनके ऊपर पॉलिश भी करता है। भारत में ऑप्टोमेट्रिस्ट को सर्जरी करने की इजाजत नहीं होती है। अर्थात वह आँखों की सर्जरी को छोडक़र आँखों के उपचार से संबंधित बाकी सभी काम कर सकता है।
ऑप्टोमेट्रिस्ट के लिए करियर के बहुआयामी मौके
जिस तरह करियर के मौके हेल्थकेयर सेक्टर के क्षेत्र में बढ़ते जा रहे उसी तरह ऑप्टोमेट्री के क्षेत्र में करियर की काफी अच्छी संभावनाएँ हैं। यदि आप औरों की आँखों की रोशनी बचाकर अपना करियर रोशन करना चाहते हैं तो ऑप्टोमेट्री का करियर निश्चित ही आपको बहुत रास आएगा, क्योंकि अंधकार पूर्ण या कमजोर आँखों को जगमग रोशनी से भरकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। इतना ही नहीं इस करियर में आप प्रतिष्ठा के साथ पर्याप्त कमाई भी कर पाएंगे। इससे आपको आर्थिक संतुष्टि भी मिलेगी। उभरता हुआ कॅरियर होने से इसमें अपार संभावनाएँ हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट की माँग बढऩे का एक कारण यह भी है कि चश्मों, गागल्स तथा कांटेक्ट लैंस की माँग भी इन दिनों बहुत तेजी से बढ़ रही है। सबसे अच्छी बात यह भी है कि ऑप्टोमेट्रिस्ट के लिए देश और विदेश दोनों जगहों पर करियर के अवसर हैं। बतौर ऑप्टोमेट्रिस्ट आप अस्पतालों और क्लिनिक्स में अपनी सेवाएँ दे सकते हैं जहाँ नेत्र रोग चिकित्सकों की सहायता करती होती हैं। सरकारी नियमों के अनुसार ऑप्टिकल दुकानों में भी ट्रेंड ऑप्टोमेट्रिस्ट को ही रखना होता है। एक ऑप्टोमेट्रिस्ट अस्पतालों में या क्लीनिक्स में ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट के सहायक के रूप में नौकरी प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा प्राइवेट ऑप्टिकल सैटअप में काम करने के अलावा अपना स्वयं का क्लीनिक भी प्रारंभ कर सकते हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट मोतियाबिंद आदि के मरीजों को ऑपरेशन के पूर्व और उसके पश्चात आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं। चाहें तो स्वयं की ऑप्टिकल्स शाप भी खोल सकते हैं। इसके अलावा, प्रोडक्ट एग्जीक्यूटिव के रूप में चश्मा या लेंस निर्माता कंपनियों के साथ जुड़ सकते हैं। किसी एनजीओ में अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
ऑप्टोमेट्रिस्ट के करियर की स्किल्स
ऑप्टोमेट्री के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कुछ जरूरी स्किल्स हैं। पहली स्किल बॉयोलॉजी व मानव सेवा में रुचि होने संबंधित है। इस क्षेत्र में करियर के लिए विशेष तकनीकी कौशल भी जरूरी है। संयम, धैर्य जैसे व्यावहारिक गुण और मूल्यांकन कौशल के साथ इस ऑप्टोमेट्री क्षेत्र में तेजी से करियर की सीढ़िया चढ़ सकते हैं।
ऑप्टोमेट्रिस्ट के करियर की शैक्षणिक जरूरतें
एक ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए ऑप्टोमेट्री का कोर्स करना होता है। इस कोर्स को करने के लिए 50 प्रतिशत अंक के साथ भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित या जीव विज्ञान तथा अंग्रेजी विषय से बारहवीं होना जरूरी है। ऑप्टोमेट्री कोर्स में प्रवेश पाने के लिए कुछ संस्थान केंद्रीकृत संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। इनमें एम्स, बीबीपी, आइसेट आयोजित होती है, जो पूरे देश में मान्य है। यह चार वर्षीय पाठ्यक्रम है, जिसके पहले तीन वर्षों में सैद्धांतिक शिक्षा दी जाती है और अंतिम वर्ष में इंटर्नशिप कराई जाती है, आप चाहे तो ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा भी कर सकते हैं, जो दो वर्ष का होता है। देश के कई मेडिकल और टेक्नोलॉजी से जुड़े इंस्टिट्यूशन्स स्वंय की प्रवेश परीक्षाओं या फिर मेरिट के आधार पर बीएससी इन ऑप्टोमेट्री जैसे कोर्स में प्रवेश देते हैं। इसके लिए भी पीसीबी या पीसीएम से बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए। कोर्स के दौरान ऑप्टिकल उपकरणों की जानकारी, फिजिकल ऑप्टिक्स, फिजियोलाजी, एनाटामी, आंखों की असमानता, दृष्टि दोष मापने, सुधारने की विधि आदि सिखाई जाती है। छात्रों को बेसिक साइंस तथा क्लिनिकल विषयों की प्रेक्टिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ विभिन्न अस्पतालों, स्पेशएलिटी आई क्लिनिक्स और अन्य संबंधित टेक्निकल इंस्टिट्यूशंस में इंटर्नशिप भी कराई जाती है।
कहाँ से करें ऑप्टोमेट्रिस्ट का कोर्स
मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न मेडिकल और टेक्नीकल संस्थानों में आप्टोमेट्री के डिग्री और डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध है। आप अपनी रुचि योग्यता व क्षमताओं के अनुरूप उपयुक्त संस्थान से आप्टोमेट्री का कोर्स करके इस क्षेत्र में करियर की डगर पर आगे बढ़ सकते हैं।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी ( विख्यात करियर काउंसलर) 111, गुमास्ता नगर, इंदौर-9 (फोन- 0731 2482060, 2480090)